Nishtha :- कोर्स 7  प्राथमिक कक्षाओं में बहुभाषी शिक्षण

कोर्स – 7

प्राथमिक कक्षाओं में बहुभाषी शिक्षण

उद्देश्य

  • बहुभाषिकता का वर्णन करना।
  • बच्चों के संदर्भ में भाषा संबंधी परिस्थितियों का विश्लेषण।
  • बहुभाषी शिक्षण की अवधारणा एवं महत्व की व्याख्या करना।
  • बच्चों की भाषा के इस्तेमाल की रणनीतियां बता पाना।
  • दूसरी भाषा सिखाने के कुछ कारगर तरीको की व्याख्या करना।

 

कोर्स की रूपरेखा

  • हमारे देश में भाषाओं का ताना-बाना।
  • बच्चों पर भाषा संबंधी अंतर का दुष्प्रभाव।
  • शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में बच्चों की परिचित भाषा का महत्व।
  • बच्चों की मातृभाषा के प्रयोग हेतु प्रावधान।
  • बहुभाषी शिक्षण अर्थ व महत्व।
  • बाल वाटिका में बहुभाषी शिक्षण।
  • बहुभाषी शिक्षण की रणनीतियां।

 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति और बहुभाषी शिक्षण परिचय

भारत में 35% बच्चे प्राथमिक कक्षाओं में ऐसी माध्यम से सीख रहे हैं जो उनके लिए परिचित नहीं है। जब यह बच्चे कक्षा एक में आते हैं तो शाला की भाषा से अपरिचित रहते हैं। ऐसे में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की निपुण भारत योजना को कैसे सफल बनाया जा सकता है।
FLN के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बच्चों के घर की भाषा यानी बहुभाषी शिक्षण पर विशेष जोर देना होगा। अर्थात बच्चों की मातृभाषा का प्रयोग करवाते हुए अंतिम लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है।

 

हमारे देश में बहुभाषिकता

भारत एक बहुभाषी देश है। 2011 की जनगणना अनुसार देश के 1/4 से ज्यादा लोग दो भाषाएं बोलते हैं। जबकि 7% लोग 3 भाषाएं बोलते हैं।

 

अपरिचित भाषा और बच्चों की दुविधा

हमारी शाला में कई बच्चे अलग अलग भाषा के परिवेश से आते हैं, पर अक्सर उन्हें अपनी भाषा में शिक्षण की सुविधा नहीं मिल पाती। इतनी भाषा की विविधता होने पर भी स्कूलों में शिक्षण का माध्यम केवल 36 भाषाएं ही है।
बहुत सारे बच्चे अपनी मातृभाषा को छोड़ अन्य अपरिचित भाषा में शिक्षण कार्य करने में मजबूर रहते हैं जैसे कि राजस्थानी, छत्तीसगढ़ी, भोजपुरी, हरियाणवी आदि।
फिर भी इन भाषाओं को स्कूलों में शिक्षण के माध्यम के रूप में जगह नहीं मिल पाती।
25% बच्चे स्कूल बाग घर की भाषा में अंतर होने के कारण शुरू में गंभीर चुनौतियों का सामना करते हैं ऐसे बच्चों को 5 श्रेणियों में रखा गया है।

  1. अनुसूचित जनजाति वर्ग के बच्चे।
  2. जो इंग्लिश भाषा में पढ़ने के लिए मजबूर है।
  3. अंतरराज्यीय सीमा क्षेत्र वाले बच्चे।
  4. स्थानीय क्षेत्र की बोली – छत्तीसगढ़ी, बुंदेली, बागड़ी, मारवाड़ी, भोजपुरी आदि बोलने वाले बच्चे।
  5. काश्मीरी, कोंकणी, डोगरी बोलने वाले बच्चे, जिनकी भाषा लिखित, साहित्य के रूप में विकसित है, मगर शिक्षा जगत में प्रयोग नहीं होती।

कक्षा में बच्चों की भाषा का प्रयोग क्यों और कैसे

हमारे सामने 2 शिक्षकों की कक्षा की वीडियो दिखाई गई जिसमें एक सर जीवन लाल जी का मानना है कि बच्चों को घर की भाषा का बिल्कुल भी प्रयोग नहीं करना है वहीं मैम का कहना है कि बच्चे जिस भाषा को जानते हैं उस भाषा में संवाद करें और सीखें। ऐसे में दोनों की कक्षा में अंतर निम्न है।

जीवन लाल जी की कक्षा महिमा मैम की कक्षा
बच्चों की कोई भी भागीदारी नहीं है। बच्चों की सक्रिय भागीदारी है।
कक्षा में डर एवं झिझक का माहौल। कक्षा में चिंतन कल्पना का अनुमान लगाने के भाव।
कक्षा में चिंतन कल्पना के भाग नहीं। कक्षा में प्रेम पूर्वक सीखने का उत्साह है।
शिक्षक केंद्रित शिक्षा। बाल केंद्रित शिक्षा।
छात्र अपने विचार भाव को साझा नहीं कर पा रहे। बच्चे अपने विचार व  भावनाओं को उत्साह से साझा कर रहे हैं।

प्रारंभिक कक्षाओं  में मातृभाषा के प्रयोग का महत्तव

  • घर की भाषा L1 की मदद से शिक्षण अधिगम में सक्रिय भागीदारी दिखाती हैं।
  • कक्षा बाल केंद्रित बनती है।
  • L1 की मदद से सोचना समझना कल्पना चिंतन करना आसान होता है।
  • बच्चे अपने अनुभव को साझा करने में सहायता महसूस करते हैं।
  • बच्चों में आत्मविश्वास एवं आत्मसम्मान बढ़ता है।
  • शिक्षक बच्चे का आत्मीय रिश्ता बनता है।

 

बच्चे की भाषा, उन्हें दूसरी भाषा सीखने में मदद कैसे करती है?

बच्चे की भाषा की बुनियाद उन्हें अन्य भाषाओं को सीखने में रुकावट नहीं डालती बल्कि सकारात्मक रूप से मदद करती है।
बच्चों की भाषा में रोक-टोक ना करके उन्हें उनकी भाषा में वार्तालाप करने का अवसर दें उन्हें दंड ना दें। भाषा सिर्फ बोलने बात सुनने का माध्यम नहीं है बल्कि सोचने समझने व सीखने का एक साधन भी है।

एक भाषा दूसरी भाषा से अलग होती है जैसे-

  • शब्द भंडार
  • व्याकरण
  • वाक्यों की बनावट
  • बोलने के तरीके

 

हमारे देश की नीतियां, कानून एवं संविधान

IPC की धारा 350 क के अनुसार प्रत्येक राज्य में स्थानीय भाषा के अल्पसंख्यक वर्ग के बालक को को शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा का पर्याप्त सुविधा देने का प्रयास होना चाहिए।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार भी कक्षा एक से पांच तक बच्चों की मातृभाषा में ही शिक्षण कार्य कराया जाए।

 

बहुभाषी शिक्षण

बहुभाषी शिक्षण का मतलब यह है बिल्कुल भी नहीं है कि बच्चों को बहुत या अन्य भाषा सिखाना है बल्कि बहुभाषी शिक्षण में बच्चों की परिभाषा को आधार बनाकर नई भाषा सिखाई जाती है।
बहुभाषी शिक्षण = बच्चों की मातृभाषा + दूसरी भाषा + तीसरी भाषा
अर्थात शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में 1 से अधिक भाषाओं का इस्तेमाल करना ही बहुभाषी शिक्षण कहलाता है।

 

लाभ

  • कक्षा को खुशनुमा सहज माहौल बनाना ताकि सीखने सिखाने में आसानी हो।
  • बच्चों के पूर्व ज्ञान को नए ज्ञान से जोड़ पाना।
  • बच्चों में आत्मविश्वास बा आत्मसम्मान की भावना पैदा होना।
  • अन्य भाषा सिखा पाना।
  • रटने की जगह कल्पना चिंतन पर ध्यान देना।
  • शाला त्यागी बच्चों की दर में कमी होना।
  • शाला व  समुदाय का मजबूत संबंध बना पाना।

 

विशेषताएं

  • किसी एक भाषा का प्रभुत्व ना होना।
  • बच्चों की भाषा को सम्मान देना।
  • बच्चों के परिवेश अनुभव पूर्व ज्ञान संस्कृति को पाठ्य चर्चा में शामिल करना।
  • अपरिचित भाषा सिखाने के लिए मजबूत शिक्षण तकनीको एवं बच्चों की भाषा में मदद करना।

 

बाल वाटिका में बच्चों के घर की भाषा का प्रयोग

बुनियादी शिक्षा अगर बच्चों की परिचित मातृभाषा में दी जाए तो बच्चे बेहतर सीखते हैं जिसका उल्लेख नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में है।
L1 = क्षेत्रीय भाषा (बच्चे की मातृभाषा)
L2 = क्षेत्रीय भाषा (हिंदी)
L3 = अंग्रेजी भाषा और
L4 = अन्य दूसरी भाषा

L1 के द्वारा इसके प्रस्तुत करें तथा L2 व L3 को मौखिक गतिविधियां प्रिंट वातावरण में पेश किया जाए।
L2 और L3 पढ़ाते समय बच्चों की भाषाओं के मिश्रण का उपयोग करके प्रतिक्रिया देने के लिए प्रोत्साहित करें।

 

बहु भाषा शिक्षण के लिए रणनीतियां

  • शुरू के माह में शिक्षण कार्य बच्चों की घर की भाषा में कराएं।
  • बच्चों की भाषा व  स्कूल की भाषा का संतुलित व रणनीतिक प्रयोग करें।
  • L1 और L2 के मिश्रित प्रयोग को मान्यता एवं बढ़ावा दें।
  • बच्चों की संस्कृति एवं स्थानीय संदर्भों को शामिल करें।
  • पढ़ना लिखना सिखाने में बच्चों की भाषा की मदद ले।

 

अन्य भाषा सिखाने की रणनीतियां

  • शुरू में मौखिक विकास पर जोर
  • L2 सुनने व बोलने के अवसर।
  • भयमुक्त वातावरण।
  • समझने योग्य L2 का प्रयोग।
  • L2 का शब्द भंडार बढ़ाएं।
  • L2 को सीखने का दबाव न बनाएं।

कोर्स की सीख

कोर्स 7 से मैंने बहुभाषी शिक्षण क्या है? उसके लाभ एवं विशेषताएं भी जाना। साथ ही कुछ बहुभाषी शिक्षण सीखने सिखाने की आसान रणनीतियों को भी जाना कि किस तरह से हम बच्चों की मातृभाषा का सहारा लेकर उनसे उनके पूर्व ज्ञान अनुभव को जानकर अन्य भाषा के अपरिचित शब्दों का भंडार करना है।

 

कोर्स की सीख का क्रियान्वयन

शाला स्तर पर इस कोर्स की फीस को कुछ इस प्रकार से मैं क्रियान्वित करूंगा।

  • शाला प्रवेश के कुछ माह तक में बच्चों की मातृभाषा में ही चर्चा परिचर्चा या शिक्षण कार्य करूंगा।
  • बच्चों से पठन-पाठन के दौरान उनकी ही भाषा में प्रतिक्रिया देने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करूंगा।
  • बच्चों की परिचित मातृभाषा का सम्मान करुंगा।
  • भयमुक्त वातावरण खेल खेल में शिक्षा तथा आनंदा ही गतिविधियों के द्वारा शिक्षण कार्य कराऊंगा।
  • बच्चों की परिचित एवं अपरिचित भाषा के बीच संबंध एवं उचित रणनीति बनाऊंगा।
  • बच्चों की संस्कृति एवं स्थानीय संदर्भों को लेकर L1 व  L2 के मिश्रित प्रयोग को बढ़ावा दूंगा। l2k शब्द भंडार को निरंतर बढ़ाता रहूंगा।
  • प्रिंट रिच वातावरण से  L2 भाषा सीखने को आसान बनाऊंगा।

असाइनमेंट

बच्चों के घर की भाषा व स्कूल में किताबों की भाषा अलग होने पर विस्तृत पाठ योजना निम्न बिंदुओं पर तैयार करें।

  1. पाठ
  2. उद्देश्य
  3. शिक्षण अधिगम सामग्री
  4. घर की भाषा में शुरू के चर्चा बिंदु
  5. पाठ से जुड़े कुछ प्रमुख L2 के शब्दों को सिखाने की योजना।
  6. L2 या मिश्रित भाषा में कहानी सुनाने व चर्चा करने की योजना।
  7. समापन गतिविधि व चर्चाएं।
  8. अभ्यास कार्य।
  9. गृहकार्य।

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