एक वर्ष पूर्व स्थगित क्रमोन्नति आदेश पर अफसर नहीं कर पाए विचार
लोक शिक्षण संचालनालय की तत्कालीन कमिश्नर जयश्री कियावत द्वारा अध्यापकों के क्रमोन्नति संबंधी आदेश को निरस्त करने का खामियाजा प्रदेश के करीब एक लाख अध्यापक भुगत रहे हैं। यह ऐसे अध्यापक हैं, जिनका सेवाकाल 12 वर्ष पूर्ण हो चुका है। यह क्रमोन्नत वेतनमान की पात्रता भी रखते हैं। नवीन शैक्षणिक संवर्ग में शामिल होने के बाद इन्हें यह प्रासंगिक लाभ मिलना था। 3 मार्च 2021 को जयश्री कियावत ने यह आदेश सभी कलेक्टरों को जारी किया था। इसमें उल्लेख किया गया था कि 1 जुलाई 2018 से अध्यापकों को नवीन शैक्षणिक संवर्ग में शामिल किया गया है। नियम के मुताबिक नवीन शैक्षणिक संवर्ग में नियुक्त किए लोक सेवकों को जिनके द्वारा 12 वर्ष की सेवा 1 जुलाई 2018 अथवा इसके बाद पूर्ण की गई है। ऐसे लोक सेवकों को क्रमोन्नत वेतनमान दिए जाने संबंधी निर्देश जारी करने की कार्यवाही प्रचलित है। यह निर्देश सामान्य प्रशासन विभगा की सहमति के पश्चात जारी किए जा सकेगे। यदि किसी जिले अथवा संभाग में 1 जुलाई 2018 अथवा इसके बाद 12 वर्ष की सेवा पूर्ण करने वाले नवीन शैक्षणिक संवर्ग के लोक सेवकों को क्रमोन्नत वेतनमान स्वीकृत किए जाने के आदेश जारी किए गए तो उक्त आदेशों का तत्काल प्रभाव से क्रियान्वयन स्थगित किया जाए।
अध्यापकों का हो रहा जमावड़ा: क्रमोन्नति के अलावा पेंशन का स्थाई विकल्प खोजने के लिए अध्यापकों का राजधानी में जमावड़ा होने जा रहा है। आजाद अध्यापक संघ के बैनर तले अध्यापक 13 सितम्बर से राजधानी में अनिश्चितकालीन हड़ताल करने जा रहे हैं। इसके लिए प्रशासन से अनुमति प्राप्त करने के लिए संगठन ने आवेदन दिया है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष भरत पटेल का कहना है कि अध्यापकों को मिलने वाले क्रमोन्नत वेतनमान संबंधी आदेश को पूर्व कमिश्नर ने स्थगित किया था। आज तक इस पर मौजूदा अफसरों ने कोई विचार नहीं किया है। इस कारण हर महीने 12 वर्ष की सेवा पूर्ण करने वाले अध्यापकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।