“हमारा विद्यालय- हमारा कोष” योजना के संबंध में जारी किया गया पत्र

मध्यप्रदेश शासन, स्कूल शिक्षा विभाग के पत्र क्रमांक 1932 / 869 / 2021 / 20-2  भोपाल दिनांक 16/12/2022  “हमारा विद्यालय- हमारा कोष” योजना के संबंध में पत्र जारी किया गया है। जिसमे योजना का उददेश्य, योजना का स्वरूप, योजना अन्तर्गत की जाने वाली कार्यवाही आदि के संबंध में दिशा निर्देश जारी किये गये है।

“हमारा विद्यालय- हमारा कोष” योजना

1. योजना का उददेश्य-

इस योजना का मुख्य उददेश्य शासकीय विद्यालयों के पूर्व छात्रों का. शासकीय विद्यालयों/ छात्रावासों से उनके पूर्व अध्ययन के दौरान कृतज्ञता स्वरूप भावनात्मक लगाव के फलस्वरूप अब उन्ही शासकीय विद्यालयों/छात्रावासों के भौतिक एवं अकादमिक विकास हेतु उनकी सक्रिय भागीदारी एवं उनका सहयोग प्राप्त करना है। इस योजना के माध्यम से शासकीय शालाओं एवं छात्रावास को सहायता हेतु राशि, सामग्री एवं अधोसंरचना के कार्य (अतिरिक्त कक्ष / सम्पूर्ण शाला भवन / शाला का जीर्णोद्धार / भूमि / अन्य अधोसंरचना संबंधी कार्य) आदि में सहयोग दान के रूप में शाला / छात्रावास में प्रदाय होने पर जहां एक ओर पूर्व छात्रों मे आत्म गौरव की भावना जागृत होगी, वही दूसरी ओर विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था स्थापित करने हेतु राज्य पर बिना कोई वित्तीय भार डाले हुए अतिरिक्त संसाधन भी उपलब्ध हो सकेंगे। पुराने छात्रों को मेरा विद्यालय है, ऐसा भाव जागरण होगा। पूर्व छात्र का शाला से जुड़ाव मात्र दान देने तक ही सीमित नहीं रहेगा, अपितु शाला एवं उसके बीच जीवंत संपर्क बना रहेगा, ताकि वह भी शाला के भौतिक एवं अकादमिक विकास का साक्षी बन सके। इस जीवंतता से समाज को लाभ पहुॅचेगा। इस योजना के अंतर्गत जहां एक ओर पूर्व विद्यालय के प्रति संबंधित व्यक्तियों में सामाजिक उत्तरदायित्व के बोध का क्रियान्वयन होगा, वहीं दूसरी ओर इस कार्य से आगे आने वाली पीढ़ियों को इस सद्कार्य हेतु प्रेरणा भी प्राप्त होगी।

2. योजना का स्वरूप-

2.1 योजना अंतर्गत पूर्व छात्रों की “HAMARA VIDYALAYA HAMARA KOSH, SAMITI” जो कि फर्म्स एंड सोसाइटी अधिनियम 1973 के अधीन गठित होगी, जिससे उपरिलिखित सहयोग प्राप्त होगा एवं इस योजना का वित्त पोषण एवं समग्र संचालन किया जाएगा

2.2 योजना अन्तर्गत शाला से जुड़ने हेतु सहयोगी के पास सहयोग देने हेतु तीन विकल्प उपलब्ध होंगे राशि, सामग्री एवं अधोसंरचना के कार्य (अतिरिक्त – कक्ष / सम्पूर्ण शाला भवन / शाला का जीर्णोद्धार / भूमि / अन्य अधोसंरचना संबंधी कार्य) ।

2.3 इस हेतु पोर्टल का निर्माण किया जाएंगा, जिससे सभी शालाओं / छात्रावास की आवश्यकताओं की जानकारी उपलब्ध होगी एवं कोई भी दान दाता पूर्व छात्र, शालाओं / छात्रावास को दान देने की सहमति पोर्टल के माध्यम से दे सकेगा।

3. योजना अन्तर्गत की जाने वाली कार्यवाही-

3.1 विद्यालय स्तर पर योजना के क्रियान्वयन हेतु विद्यालय स्तरीय समिति गठित होगी, जिसके अध्यक्ष पूर्व छात्र व सचिव प्राचार्य / प्रधानाचार्य होंगे।

3.2 राज्य स्तर पर योजना के क्रियान्वयन हेतु राज्य स्तरीय समिति गठित होगी जिसके अध्यक्ष प्रमुख सचिव / सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग होंगे तथा आयुक्त, आदिम जाति कल्याण विभाग एवं आयुक्त / संचालक. राज्य शिक्षा केन्द्र सदस्य होंगे। आयुक्त, लोक शिक्षण सदस्य सचिव होंगे। यह समिति राज्य स्तर पर प्राप्त होने वाली दान / राशि, सामग्री, भूमि, अधोसंरचना संबंधी सामग्री के संबंध में निर्णय लेगी। यह समिति राज्य स्तर पर इस योजना के संचालन हेतु सम्पूर्ण रूप से अधिकृत होगी यथेचित् कार्य संचालन में उचित शासकीय निर्देश एवं भण्डार क्रय नियमों का पालन करना होगा। लेखांकन, अंकेक्षण एवं अन्य अभिलेख संधारण आदि हेतु भी जिम्मेदार होगी।

3.3 सभी विद्यालय एवं छात्रावासों को अकादमिक एवं अन्य अधोसंरचना के विकास हेतु अपनी-अपनी आवश्यकताओं को चिन्हित कर उनकी पूर्ति हेतु प्राथमिकता का निर्धारण कर पोर्टल पर अपलोड करना होगा।

3.4 योजना हेतु वेब पोर्टल का निर्माण किया जाएगा। उक्त पोर्टल के माध्यम से दान दाता-पूर्व छात्र प्रदेश की किसी भी शासकीय शाला / छात्रावास को दान देने हेतु ऑनलाईन पंजीयन कर सकेगें। इस हेतु समस्त शालाओं / छात्रावासों की आवश्यकताओं की सूची पोर्टल कर उपलब्ध होगी।

3.5 अपलोड की गई जानकारी के आधार पर दान दाता- पूर्व छात्र को शाळा / जानावास प्रबंधन समिति द्वारा सामग्री अभिस्वीकृति एवं धन्यवाद पत्र दिया जाएगा, साथ ही शाला के विभिन्न कार्यक्रमों में उनके विशिष्ट आतिथ्य हेतु भी आग्रह किया जाएगा।

4. योजना अन्तर्गत दान हेतु उपलब्ध विकल्प-

4.1 योजना से जुड़ने हेतु कोई भी पूर्व छात्र अपनी इच्छा अनुसार विद्यालयों को राशि, सामग्री एवं अधोसंरचना के कार्य हेतु (अतिरिक्त कक्ष / सम्पूर्ण शाला भवन / शाला का जीर्णोद्धार / भूमि / अन्य अधोसंरचना संबंधी कार्य हेतु दान रूप में उपलब्ध करा सकेंगे।

4.2 शाला स्तर पर राशि से अधोसंरचना (नवीन / उन्नयन) संबंधी कार्य स्वीकृत किये जा सकते हैं।

4.3 दान से प्राप्त राशि हेतु प्रक्रिया – 

4.3.1 दान दाता पूर्व छात्र स्वेच्छा अनुसार एक शाला अथवा एक से अधिक शालाओं / छात्रावासों को दान देने हेतु चयन कर सकते है। दान दाता को शाला / संकुल / विकासखण्ड / जिले स्तर पर दान प्रदाय करने हेतु स्थानीय अधिकारियों द्वारा समन्वय स्थापित किया जाए, ताकि दान दाता पूर्व छा कठिनाई न हो।

4.3.2 योजना के अन्तर्गत प्राप्त भूमि / वस्तु / सामग्री / आदि के लिए जिस स्तर पर राशि प्राप्त हुई है, उस स्तर पर निर्धारित प्रारूप में “दान भण्डार पंजी संधारित की जाए, जिसमें नियमानुसार प्राप्त सामग्री की प्रविष्टि की जावे एवं दान के रूप में राशि प्राप्त होने पर नियमानुसार कैश बुक संधारित की जाए।

4.4 अधोसंरचना के कार्य (अतिरिक्त कक्ष / सम्पूर्ण शाला भवन / शाला का जीर्णोद्धार / अन्य अधोसंरचना संबंधी कार्य अथवा दान में प्राप्त भूमि)-

4.4.1 कुछ दान दाता पूर्व छात्र यदि संपूर्ण शाला भवन निर्माण अथवा जीणोद्वार संबंधी कार्य करने हेतु इच्छुक होते है। अतः ऐसे निर्माण संबंधी प्रस्ताव राज्य समिति द्वारा स्वीकृत किये जा सकते है।

4.4.2 यदि दान दाता पूर्व छात्र एक से अधिक शाला में अधोसंरचना संबंधी कार्य कराने हेतु इच्छुक हो अथवा प्रस्ताव जिला स्तर पर प्राप्त होता है तो राज्य समिति अंतिम निर्णय लेने हेतु सक्षम होगी।

4.4.3 उक्त कार्य हेतु निर्माण एजेन्सी का चयन संबंधी अंतिम निर्णय भी राज्य स्तरीय समिति द्वारा लिया जा सकेगा।

4.4.4 सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र क्रमांक / एफ 19-134/2000/ 1/ चार, दिनांक 22 जनवरी, 2014 की कण्डिका 7 (तीन) के अनुसार यदि कोई व्यक्ति विद्यालय के पूर्ण भवन के लिये आवश्यक भूमि दान में देता है तो भूमि का कोई मूल्यांकन किये बिना उस भवन का नाम दानदाता की या उसके द्वारा प्रस्तावित व्यक्ति के नाम पर रखे जाने के संबंध में निर्देश जारी लिये गये है। अतः उल्लेखित पत्र में वर्णित प्रक्रिया अनुसार कार्यदाही की जाए।

5. दान दाता पूर्व छात्र को शाला संबंधी गतिविधियों से जोड़े रखने हेतु की जाने वाली कार्यवाही –

5.1 इस योजना के अन्तर्गत भागीदार बनने के उपरांत पूर्व छात्र को शाला संबंधी गतिविधियों की नियमित जानकारी दूरभाष / ई-मेल / एस. एम. एस. के माध्यम से दी जाए, ताकि शाला से जीवंत संपर्क बना रहे।

5.2 दान दाता पूर्व छात्र को बाल सभा शाला का वार्षिक उत्सद, कहानी उत्सव, मिलबाँचे आदि शाला स्तर की गतिविधियों में भी आमंत्रित किया जाए।

5.3 शाला के वार्षिक परिणाम एवं विशेष उपलब्धियाँ भी दान दाता पूर्व छात्र से साझा की जा सकती है।

6. अन्य निर्देश-

6.1 जिन क्षेत्रों में विद्यालय वस्तुरूप दान प्राप्त कर सकेंगे सूची परिशिष्ट – “अ’ अनुसार है। यह सूची सुझावात्मक है।

6.2 योजना के अन्तर्गत प्राप्त सामग्री / वस्तु / भूमि आदि के लिए निर्धारित प्रारूप में शालावार / छात्रावास में दान भण्डार पंजी एवं राशि के लिए “कैश बुक” संधारित की जाए, जिसमें प्राप्ति एवं व्यय का समग्र लेखांकन सुनिश्चित किया जाएगा। सामग्री / वस्तु / भूमि आदि प्राप्त होने पर उसका वर्तमान मौद्रिक मूल्य दान भण्डार पंजी में लिखा जाए।

6.3 शाला में पूर्व में पढ़े छात्रों / छात्राओं की शालावार सूची संधारित की जाए, साथ ही शाला संबंधी कार्यक्रमों में आमंत्रित किया जाए। पोर्टल पर शालावार पूर्व छात्रों की सूची भी संधारित करने का विकल्प उपलब्ध कराया जाएगा।

6.4 चूँकि यह योजना पूर्व छात्रों की दान राशि से संचालित होगी, अतः इस योजना पर स्थायी प्रकार का कोई भी दायित्व भारित न किया जाये। इसी के साथ किसी भी स्थिति में शासकीय निधि पर किसी भी प्रकार का भार/ दायित्व आदि कदापि अधिरोपित नहीं किया जायेगा।

6.5 पूर्व छात्रों से दान स्वरूप प्राप्त राशि राज्य समिति के खाते में स्वेच्छानुसार पूर्व छात्र जमा करा सकेगें। समिति के यह खाते एक ही राष्ट्रीयकृत बैंक में खोले जायेंगे। खाते खोलने की अनुमति पृथक से जारी की जायेगी।

6.6 योजना संचालन हेतु योजना का व्यय प्राप्त राशि से किया जा सकेगा।

6.7 इस योजना के अन्तर्गत विधिवत् लेखा संधारण, लेखाकंन करवाने का उत्तरदायित्व राज्य समिति हेतु आयुक्त लोक शिक्षण का होगा।

6.8 राज्य स्तर की समितियों के समस्त लेखों का समेकितिकरण एवं इनका लेखा परीक्षण करवाने का उत्तरदायित्व आयुक्त लोक शिक्षण का होगा।

6.9 इस योजना पर समग्र रूप से नियंत्रण एवं संचालन हेतु आयुक्त लोक शिक्षण उत्तरदायी होंगे।

6.10 वर्ष में सत्रारम्भ में या परीक्षा उपरान्त एक बार पूर्व छात्र सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।

यह योजना पूर्व छात्र और शाला के मध्य जीवंत संपर्क निर्मित करने एवं इससे समाज को लाभ प्रदान करने का उत्तम माध्यम है। योजना के प्रभावी क्रियान्वयन से एवं पूर्व छात्रों की सक्रिय सहभागिता से शाला के अधोसंरचनात्मक एवं अकादमिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा। उपरोक्तानुसार कृपया जिले में इस योजना का पर्याप्त प्रचार प्रसार सुनिश्चित करें तथा सभी शालाओं / छात्रावासों को इस योजना के तहत् अपने शाला / छात्रावास में विकास हेतु अधिक से अधिक सहयोग प्राप्त करने का प्रयास करें।

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