वार्षिक परीक्षा हेतु कक्षा-8 हिंदी मॉडल प्रश्न पत्र-3

मॉडल प्रश्न पत्र-3 ll  Modal Question Paper-3

विषय – हिंदी ll Subject – Hindi 

कक्षा-8 वार्षिक परीक्षा 2024

वैकल्पिक प्रश्न
(प्रश्न क्रमांक 1 से 10)
प्रश्न 1. “सीता का मुख चन्द्रमा के समान सुन्दर है।” उपरोक्त वाक्य में उपमेय है–
(अ) सीता का मुख
(ब) चन्द्रमा
(स) के समान
(द) सुन्दर
उत्तर– सीता का मुख।

प्रश्न 2. ‘यथापूर्व’ में समास है–
(अ) तत्पुरुष
(ब) कर्मधारय
(स) अव्ययी भाव
(द) द्विगु
उत्तर– अव्ययी भाव।

प्रश्न 3. संगीत नृत्य का अखिल भारतीय कार्यक्रम संगीतकार …………… की स्मृति में होता है।
(अ) तानसेन
(ब) मानसिंह तोमर
(स) अलाउद्दीन खाँ
(द) कुमार गन्धर्व
उत्तर– तानसेन।

प्रश्न 4. सूरदास के मन को सुख भगवान ………….. के चरणों की भक्ति में प्राप्त होता है।
(अ) श्री हरि विष्णु
(ब) श्री राम
(स) श्री कृष्ण
(द) महाशिव
उत्तर– श्री कृष्ण।

प्रश्न 5. पटना शहर का पुराना नाम क्या है?
(अ) महिषमण्डल
(ब) पाटलिपुत्र
(स) बेसनगर
(द) उज्जयिनी
उत्तर– पाटलिपुत्र।

प्रश्न 6. मुण्डा समाज के आराध्य देव ‘सिंग’ का अर्थ है–
(अ) सिंह
(ब) सींग
(स) सूर्य
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर– सूर्य।

प्रश्न 7. श्री निहाल चन्द विश्नोई को भारत सरकार ने सम्मानित किया–
(अ) पद्मश्री से
(ब) शौर्य चक्र से
(स) परमवीर चक्र से
(द) वीर चक्र से
उत्तर– शौर्य चक्र से।

प्रश्न 8. “शायद आज वर्षा हो।” उपरोक्त वाक्य है–
(अ) प्रश्नवाचक वाक्य
(ब) इच्छाबोधक वाक्य
(स) आज्ञार्थक वाक्य
(द) सन्देहसूचक वाक्य
उत्तर– सन्देहसूचक वाक्य।

प्रश्न 9. आर्यभट्ट की पुस्तक का नाम ………… था।
(अ) ज्योतिष शास्त्र
(ब) गणितशास्त्र
(स) आर्यभटीय
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर– आर्यभटीय।

प्रश्न 10. ‘सत्याग्रह’ शब्द में सन्धि है–
(अ) दीर्घ स्वर संधि
(ब) वृद्धि स्वर संधि
(स) अयादि स्वर संधि
(द) व्यंजन संधि
उत्तर– दीर्घ स्वर संधि।

लघुत्तरीय प्रश्न
(प्रश्न क्रमांक 11 से 20)
प्रश्न 11. “हममें आत्मविश्वास हो तो इससे हम विरोधी को आत्महीन कर सकते हैं।” उपरोक्त पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– ।

प्रश्न 12. ‘गुड़ी पड़वा’ नाम का क्या अर्थ है?
उत्तर– ‘गुड़ी’ का अर्थ है ध्वज या झण्डी तथा ‘पड़वा’ का अर्थ है प्रतिपदा। लोक में एक परम्परा व्याप्त है। उसके अनुसार यह माना जाता है कि इसी दिन श्री रामचन्द्रजी ने किष्किंधा के राजा बाली का वध किया और उसके स्वेच्छाचारी राज्य का अन्त कर दिया। बाली वध के बाद वहाँ की प्रजा ने पताकाएँ फहराईं और उत्सव मनाया। इन पताकाओं को महाराष्ट्र में गुड़ी कहते हैं। आज भी वहाँ इस दिन आँगन में बाँस के सहारे गुड़ी खड़ी की जाती है। इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा कहा जाता है।

प्रश्न 13. वसीयतनामे में क्या लिखा था?
उत्तर– वसीयतनामे में दो बातें लिखी हुई थीं। पहली, सम्पूर्ण जायदाद के तीन हिस्से कर उसे तीन भाइयों में बाँट दिया जाए, यह नहीं लिखा था कि किस भाई को हिस्सा न दिया जाए। दूसरी, जो पंच इस बात का फैसला करे उसके साथ बेटी का विवाह कर दिया जाए।

प्रश्न 14. संदीप पानी में कैसे बह गया?
उत्तर– संदीप बाढ़ में फँसे लोगों को नाव से सुरक्षित स्थान पर ले जा रहा था। इस बचाव कार्य में व्यस्त संदीप की नाव एकदम उलट गई। तभी पानी का बहाव भी तेज हो गया। इस तरह संदीप पानी में बह गया।

प्रश्न 15. विद्या से हममें कौन-कौन से गुण आते हैं?
उत्तर– विद्या से हममें विनम्रता आती है और व्यक्ति शालीन बन जाता है। मन शान्त हो जाता है, चित्त एकाग्र हो जाता है और तृष्णाओं का शमन होता है।

प्रश्न 16. ‘गुन के गाहक’ से क्या आशय है?
उत्तर– गुण (अच्छी बात या लाभकारी वस्तु) को ग्रहण करने वाली सभी होते हैं। गुण रहित (खराब और अलाभकारी) वस्तु को कोई भी स्वीकार नहीं करता है।

प्रश्न 17. कलषु भेद से कवि का क्या आशय है?
उत्तर– कलुष भेद से कवि का आशय मन के विकारों को दूर (नष्ट) करने से है।

प्रश्न 18. ‘आर्यभटीय’ की ताड़पत्र पोथियों की खोज किस विद्वान ने की थी?
उत्तर– ‘आर्यभटीय’ की ताड़पत्र पोथियों की खोज महाराष्ट्र के विद्वान डॉ. भाऊ दाजी ने सन् 1864 ई. में की थी। यह मलयालम लिपि में लिखी हुई थी। उन्होंने ही इनका विवरण प्रकाशित किया था।

प्रश्न 19. बिरसा मुण्डा ने किस उद्देश्य से अपना आन्दोलन प्रारम्भ किया था?
उत्तर– बिरसा मुण्डा ने मुण्डाओं को अंग्रेजों के अत्याचारों से तथा शोषण से मुक्ति दिलाने और भारत को आजाद कराने के उद्देश्य से अपना आन्दोलन प्रारम्भ किया था।

प्रश्न 20. किस भारतीय की वीरता को सुनकर सिकन्दर की छाती दहलती थी?
उत्तर– राजा पुरु की वीरता को सुनकर सिकन्दर की छाती दहलती थी।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
(प्रश्न क्रमांक 21 से 24)
प्रश्न 21. संगीत की महिमा अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर– संगीत की महिमा अनन्त है। संगीत में मौजूद शास्त्रीयता से साधना को महत्त्व दिया जाता है। संगीत में विद्यमान मधुरता से हमें आत्मिक शान्ति मिलती है तथा जीवन को जीने की उमंग व उत्साह भी उत्पन्न होता है। गीतों को संगीत में ढालकर मनुष्य के पैर अपने आप ही थिरक उठते हैं। मनुष्य में करुणा का भाव पैदा हो जाता है जिससे उसकी आँखों से अनायास ही आँसू बह उठते हैं। यही संगीत का सामाजिक महत्त्व व प्रभाव है।

प्रश्न 22. मीरा की भक्ति भावना पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर– मीरा की भक्ति दास भावना से ओत-प्रोत है। वे भगवान कृष्ण की भक्त दासी हैं। ईश्वर की भक्ति उनके लिए वह रत्न है जिसे कोई चोर चुरा नहीं सकता, खर्च करने पर भी खर्च नहीं होता। भगवान की भक्ति का रत्न तो प्रतिदिन सवाया ही होता जाता है। इस प्रकार ईश-भक्ति से मनुष्य सतगुरु की कृपा प्राप्त कर लेता है और सत पर आधारित मनुष्य की जीवन नौका बड़ी सरलता से संसार सागर को पार कर जाती है। ईश्वर की भक्ति ही मनुष्य को उद्धार प्राप्त कराने का एकमात्र साधन है। ईश्वर की भक्ति तो संसार की विविध वस्तुओं के प्रति मोह त्यागने पर ही प्राप्त होती है।

प्रश्न 23. सालिम अली के पास कॉलेज की डिग्री नहीं थी। परन्तु वे कौन-से गुण थे, जिन्होंने उन्हें असाधारण बनाया।
उत्तर– सालिम अली के पास कॉलेज की डिग्री नहीं थी परन्तु दूसरे गुणों ने उन्हें असाधारण व्यक्ति बना दिया। वे बीजगणित से बहुत डरते थे। उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और बर्मा (म्यांमार) चले गए। बर्मा में इनके बड़े भाई रहते थे। वे वहाँ बुलफ्रैम की माइनिंग का काम करते थे। सालिम को माइनिंग के काम में भी सफलता नहीं मिली। वे वहाँ पक्षियों की खोज करने लगे। वहाँ से लौटकर प्राणिशास्त्र में एक कोर्स कर लिया और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के अजायबघर में गार्ड नियुक्त हो गए। वे अब इसका उच्च प्रशिक्षण लेने के लिए जर्मनी चले गए। लौटकर आए तब तक उनकी नौकरी भी चली गई। वे वर्डवाचिंग का काम जरूर करते थे। उन्होंने वर्डवाचिंग के अध्ययन के परिणाम को प्रकाशित किया जिससे उन्हें पक्षी विज्ञान में प्रसिद्धि मिली। उन्होंने विलुप्त पक्षियों की खोज की। इन कामों ने उन्हें असाधारण बना दिया।

प्रश्न 24. राजा आनन्दपाल के मन में किस प्रसंग को सुनकर हलचल मची और क्यों?
उत्तर– जब महायोगी विशाख के मुँह से राजा आनन्दपाल ने अर्जुन और इन्द्र से सम्बन्धित प्रसंग सुना तो उसके मन में हलचल मच गई। उन्हें लगा कि राजा के रूप में उनका कार्य जन कल्याण होना चाहिए, राज भोग की लिप्सा नहीं। उनके मन में वैराग्य भाव जाग्रत हो गया। उन्होंने अपना सम्पूर्ण राजपाट गीता का मर्म सुनाने वाले पंडित गौवर्ण को देने की इच्छा व्यक्त की। उधर महाज्ञानी गौवर्ण सोचने लगे कि मैं तो पंडित हूँ, राज भोग अथवा आधे राज्य का लालच मेरे आत्मकल्याण के लिए उचित नहीं। उनके मन में भी विरक्ति पैदा हो गई और वे भी राज-पाट के मोह से मुक्त हो गए।

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