(NISTHA FLN 3.0) कोर्स – 5 विद्या प्रवेश और बालवाटिका

विद्या प्रवेश और बालवाटिका

प्रश्न : इस मॉड्यूल से क्या नया सीखा?

  • बच्चों को ऐसी गतिविधि करवाना जिससे हमारे तीन और लक्ष्य पूरा करती हो।
  • शाला का वातावरण प्रिंट समृद्ध बनाना जिसके कौशलों का अवधारणाओं का विकास सहज रूप से हो सके।
  • सप्ताहिक योजना का निर्माण करना जिसमें पर्याप्त मात्रा में सामग्री उपलब्ध कराना जिससे सीखने में सहजता हो।
  • बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए मनोरंजक एवं प्रेरक वातावरण का निर्माण करना।

प्रश्न : मैंने जो सीखा उसे अपने शाला में इस प्रकार लागू करूंगा?

  • शाला में पूर्व से गतिविधि शिक्षण उपरोक्त तीन और लक्ष्यों को समाहित करता है जारी है 75 प्रकार की गतिविधियां संचालित है।
  • निष्ठा प्रशिक्षण के दौरान मॉड्यूल से सीख के अनुसार शाला का वातावरण T.L.M. के माध्यम से प्रिंट समृद्ध तैयार कर उपयोग किया जा रहा है।
  • मासिक योजना निर्माण कर कार्य कर रहे हैं अब हम साप्ताहिक बनाकर बेहतर कार्य करने का प्रयास करेंगे।
  • शाला में भयमुक्त आनंदमई वातावरण में खेल-खेल में, गतिविधि द्वारा, T.L.M द्वारा खुद करके सीखने के पर्याप्त अनेकानेक अवसर प्रदान किए जाते हैं उनमें और वृद्धि करेंगे।

उद्देश्य

  • विद्याप्रवेश एवं बालवाटिका के लक्ष्य और उद्देश्यों की व्याख्या करने में।
  • विकासात्मक लक्ष्य एवं उनके परस्पर संबंध व अंतः निर्भरता को समझने में।
  • साप्ताहिक समय-सारणी तैयार करने के तरीकों की व्याख्या करने में।
  • बच्चों के लिए उनकी आयु के अनुकूल गतिविधियों एवं अनुभवों की योजना बनाने में।
  • गतिविधियों एवं अनुभवों को मनोरंजक तरीके से क्रियान्वित करने में।
  • सीखने की प्रक्रिया को बल देने के लिए बच्चों की प्रगति पर नजर रखने में।

रूपरेखा

  • विद्या प्रवेश एवं बाल वाटिका परिचय
  • विकासात्मक लक्ष्य
  • विकासात्मक लक्ष्य से संबंधित सीखने के अनुभव
  • विद्या प्रवेश एवं बाल वाटिका कार्यक्रम की रूपरेखा
  • सीखने से जुड़े अनुभवों के सृजन हेतु महत्वपूर्ण विचारार्थ बिन्दु / गौर करने योग्य बातें
  • बच्चों की प्रगति पर नजर रखना

अवधारणाओं को समझना, नए कौशल सीखना सामाजिक बाद समग्र रूप से विकसित होना।
फाउंडेशन लिटरेसी और न्यूमरेसी

6 वर्ष (3 से 9 वर्ष)

प्री स्कूल -1

उसे 4 वर्ष

प्री स्कूल -2

4 से 5 वर्ष

प्री स्कूल -2

5 से 6 वर्ष

विद्या प्रवेश

कक्षा -1

6 से 7 वर्ष

कक्षा – 2

7 से 8 वर्ष

कक्षा – 3

8 से 9 वर्ष

मिशन का उद्देश्य

  • समझ के साथ पढ़ना।
  • संख्या माप और आकार के क्षेत्र में तर्क को समझना।
  • स्वतंत्र रूप से समझ के साथ लिखना।
  • समस्या का समाधान करने में आत्मनिर्भर बनना।

फाउंडेशन स्टेज पर डेवलपमेंट गोल्स

  • बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाली को बनाए रखना।
  • सामाजिक भावनात्मक विकास पोषण सुरक्षा दस्तों सुरक्षा के लिए अनुभव प्रदान करना।
  • बच्चे प्रभावशाली सम प्रेषक बने भाषा और साक्षरता की बुनियाद रखना।
  • बच्चों को सीखने के प्रति उत्साह प्रदर्शित करना और अपने आसपास के परिवेश से जुड़ना।
  • प्राकृतिक वातावरण से संवाद स्थापित करना व प्रत्यक्ष अनुभव करना।

विद्या प्रवेश
कक्षा -1 के बच्चों के लिए 3 महीने का खेल आधारित
“स्कूल तैयारी मॉड्यूल”
(कक्षा-1 के शुरुआती 12 सप्ताह लागू किया जाना है)

प्रारंभिक वर्षों को भली प्रकार परिभाषित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि बच्चों का तरुण मस्तिष्क जीवन के अन्य स्तर की तुलना में अत्यधिक तीव्र गति से विकसित होता है।अवधारणा को समझने नए कौशल सीखने और सामाजिक व समग्र रूप से विकसित होने की क्षमता बहुत तीव्र होती है। 3 महीने का खेल आधारित स्कूल तैयारी कोर्स बनाया जिसका विद्या प्रवेश नाम दिया गया है। यह है एनसीईआरटी द्वारा तैयार किया गया है। 5 वर्ष की आयुष से पहले बच्चा प्रारंभिक कक्षा या बाल वाटिका जो कि कक्षा 1 से पहले है में स्थानांतरित हो जाएगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक बच्चा कक्षा 3 के अंत तक फाऊंडेशनल लिटरेसी और न्यूमरेसी कौशल प्राप्त कर लें। विद्या प्रवेश गाइडलाइन मा.प्र.म. द्वारा रा.शि. निती 2020 के 1 वर्ष पूरा होने के उत्सव के दौरान लांच किया गया है। बच्चों को आवश्यक कौशलों का अवधारणा को सीखने उन्हें मजबूत करने और बच्चों को कक्षा 1 में सुगमता से समायोजित हो जाने के लिए तैयार करने का प्रयास है। यह निपुण भारत के तहत तीन कहलाता है यह कार्यक्रम सप्ताह में 5 दिन और प्रतिदिन 4 घंटे के लिए डिजाइन और क्रियान्वित किया जाएगा।

सीखने सिखाने की प्रक्रिया गतिविधियां और कार्यपत्रक आदि समझने और घर पर ही बच्चों के साथ करवाने में आसान है।

इस प्रकार इस कोर्स का उद्देश्य विद्या प्रवेश एवं बाल वाटिका कार्यक्रमों के उद्देश्यों को समझने में मदद करना, कार्यक्रम की योजना बनाने, उपयुक्त गतिविधियां और अनुभवों का विकास करना, बच्चों की प्रगति पर नजर रखना।
बच्चों के खेल एवं संवाद के माध्यम से डेवलपमेंट गोल के अंतर्गत कौशल और अवधारणाओं को सीखने की प्रतिक्रिया पर केंद्रित है। बच्चों को भयमुक्त आनंदमई वातावरण में सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना। कक्षा तीन तक सीखने में आनंद जारी रहे।

विद्या प्रवेश एवं बाल वाटिका का प्रारूप

  1. कक्षा 1 में प्रवेश लेने के लिए विभिन्न पृष्ठभूमि से आने वाले बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना
  2. बच्चों में सहज पारगमन को सुनिश्चित करना।
  3. बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए कक्षा में मनोरंजक एवं प्रेरक वातावरण का सृजन करना ताकि उन्हें खेल खेल में सीखने एवं आयु के अनुकूल व उपयुक्त शिक्षाप्रद अनुभव प्रदान किए जा सके ।
  4. खेल आधारित माध्यमों से बच्चों में संज्ञानात्मक एवं भाषाई कौशलों का विकास करना

बच्चों को सिखाने की प्रक्रिया में माता-पिता और समुदाय के अन्य लोगों को शामिल करना।वर्कशीट तथा सहायक चित्र को भी कार्यक्रम की रोचक हिस्से बनाए जा सकते हैं।
समस्त गतिविधियां चित्रण एवं वर्कशीट शिक्षण हेतु सहायक महत्वपूर्ण कौशलों का विकास होना ताकि मनोरंजक वातावरण में बच्चों को शिक्षण प्रदान किया जा सके।

विकासात्मक लक्ष्य

बच्चों का सर्वांगीण विकास नई शिक्षा नीति 2020 पर केंद्रित है।इसके अंतर्गत बच्चों के विकास और सीखने के विभिन्न आयाम शामिल हैं।बच्चों के जीवन में आगे आने वाली कठिन परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम बनाना।

  1. बच्चों के स्वास्थ्य एवं खुशहाली को बनाए रखना-
    स्वयं के प्रति जागरूकता एवं सकारात्मक अवधारणा का विकास, निर्णय लेने एवं समस्या का हल करने की क्षमता, सामाजिक रुप से वांछनीय विकास, स्वास्थ्य आदतों का विकास, स्वच्छता, सफाई एवं आत्म रक्षा के प्रति जागरूक, स्थूल एवं सूक्ष्म गयात्मक विकास और आंखों हाथों का समन्वय।
    हाव भाव से चित्रकारी से, अभिव्यक्ति, बुनियादी स्वच्छता और स्वास्थ्य प्रथाओं को अपनाना और प्रदर्शित करना, गुड-टच, बेड-टच के बारे में जागरूकता का प्रदर्शन करना। कार्यों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करना, विकल्प बनाना। विभिन्न गतिविधियों में रचनात्मक रूप से भाग लेना।
  2. बच्चों का प्रभावशाली संप्रेषक बनना-
    बच्चों की संवाद करने की क्षमता उन्हें स्वयं व्यक्त करने, दूसरों को समझने, गंभीर रूप से सोचने, समस्याओं को हल करने और संबंध बनाए रखने में मदद करती है। किसी भी भाषा में बोलना उसका उपयोग करना और उसका आनंद लेना सीखना साक्षरता का एक महत्वपूर्ण एवं पहला कदम है और पढ़ना लिखना सिखाने का आधार भी है।
    छोटे बच्चे दूसरों से बात करना शुरू करते हैं किताबों के साथ समय बिताते हैं, ड्राइंग के लिए विभिन्न लेखन उपकरणों के साथ प्रयोग करते हैं वे प्रभावी संप्रेषण बनना सीखते हैं। पढ़ने लिखने की गतिविधियों में भाग लेने के अवसर प्रदान करते हैं तो वे भाषा और साक्षरता के अधिग्रहण को प्रोत्साहित करते हैं। बच्चों की सीखने की क्षमता को पहचानना होगा।
    दूसरों के साथ बातचीत में संलग्न, कहानी कविताएं/तुकबंदी में रुचि व्यक्त करना, उचित स्वरों के साथ कविताओं का पाठ कहानियां सुनाना, प्रिंट जागरूकता की समझ के साथ प्रिंट को पढ़ना लेखन में रुचि आदि।

3.बच्चों का सीखने के प्रति उत्साह प्रदर्शित करना और अपने आसपास के परिवेश से जुड़ना-
बच्चे 6 वर्ष के होते हैं तब तक अपने सामाजिक परिवेश से संख्याओं आकृतियों, रंगो, नमूने स्थान आदि का कुछ ज्ञान अनुभव हो जाता है। रंगों, छोटे-बड़े, ऊपर-

नीचे कहानियों का भंडार, घड़ियां, अक्षर आदि। सामग्री पत्थर को व्यवस्थित करना, छांटना, सबसे बड़ा, सबसे छोटा का ज्ञान हो जाता है। बच्चों को वस्तुओं का पता लगाने का कार्य कराना जैसे स्पर्श से महसूस करना, वस्तुओं के शब्दों की ध्वनि सुनना, वस्तुओं के चित्र देखकर पहचान प्रतीकों को पहचानना आदि बच्चों में जन्म से ही नैसर्गिक जिज्ञासा और आसपास के परिवेश की व्यवस्था करने और प्रतिक्रिया देने की क्षमता होती है। जब बच्चे वयस्कों के साथ संवाद करते हैंतो तत्काल पर्यावरण के साथ परस्पर संपर्क में रहते हैं तो उनके सीखने को बल मिलता है। बच्चों को अवधारणाएं बनाने में मदद करने में भाषा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्रतिक्रिया के बाद एक विषय पर्यावरण सीखने में मदद करती है। कक्षा 12 में पर्यावरण संबंधी अवधारणा को भाषा और गणित के साथ एकीकृत किया जाता है। पर्यावरण का पता लगाने के लिए सभी ज्ञानेंद्रियों का उपयोग करना, तत्काल परिवेश के विशिष्ट पहलुओं का वर्णन करना, संज्ञानात्मक कौशल का प्रदर्शन, निष्कर्ष निकालना आदि।

विकासात्मक लक्ष्यों के बीच परस्पर संबंध-

बच्चे गेंद के खेल द्वारा मजे मजे में सीख रहे हैं। यह संख्या एक के लिए तैयार की गई थी लेकिन खेल खेल में शब्दावली भी सीख ली। बहे बड़ी छोटी गेम बता रहा जिससे उसे बुनियादी साक्षरता एवं संज्ञानात्मक तथा गणना के लक्ष्य स्वत: ही प्राप्त हो गए। लक्ष्य दो को भी प्राप्त कर लिया बच्चे का प्रभावशाली सम प्रेषक बनाना गणना सीखने से पहले सीकर जाने वाली अवधारणाओं को सहज रूप से खेल खेल में ही सीख लिया। खेल खेलने मजे से लक्ष्य तीन भी हासिल कर लिया। यानी बच्चे तल्लीन होकर सीखते हैं और अपने आसपास के वातावरण से जुड़ते हैं।

मौखिक भाषा-

  • बच्चों के अनुभवों, भावनाओं और विचारों को साझा करने के लिए सर्कल टाइम गतिविधि करवाना।
  • खुली बातचीत करने, प्रश्न पूछने और जानकारी प्राप्त करने के अनेकानेक अवसर प्रदान करना।
  • तुकबंदी के गाने जोर से पढ़ने, खेल खेलने उन्हें नाटक संवाद जैसी गतिविधियों में शामिल करना।
  • उन्हें नए शब्द और अभिव्यक्ति के तरीके से खा कर उनकी शब्द भंडार बढ़ाना

प्रिंट रिच जागरूकता और किताबों के साथ जुड़ाव-
प्रिंट की परंपराएं – बच्चों को किताब के पन्नों को पकड़कर आगे पीछे पलटने का नाटक करने का अवसर दिया जाता जिससे बच्चों को यह समझने में मदद मिलती की प्रिंट और तस्वीरें अर्थ रखती हैं और किताबें पढ़ने के लिए।

पुस्तकों और प्रिंट की अवधारणाएं-
यह बच्चों में तब विकसित होता है जब वे किसी पुस्तक के शीर्षक, लेखक का नाम, चित्र, मुख्यपृष्ठ देखकर जानते हैं कि किताब के वाक्यों, विराम चिन्हों, रोजमर्रा की वस्तुओं पर लिखे शब्दों एवं वाक्यों के माध्यम से रिक्त स्थान होते हैं तब वे इन अवधारणाओं को समझ पाते हैं। किताबों के बारे में प्रश्न पूछकर अवधारणाओं को मजबूत किया जा सकता है।

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