कोर्स-1 : बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान मिशन

कोर्स-1

बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान मिशन

कोर्स से परिचय:-

नई शिक्षा नीति-2020, कक्षा-3  तक के सभी बच्चों में बुनियादी साक्षरता और संख्या गान को वर्ष 2026-27 तक सुनिश्चित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है।

बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान कौशल F. L. N.

निपुण भारत :- एफएलएन पर एक राष्ट्रीय मिशन के अंतर्गत दिए गए कुछ महत्वपूर्ण उद्देश्य

  • बच्चों को समझ के साथ पढ़ने में मदद करना। बच्चों को संख्या माप और आकार समझने में मदद करना।
  • खेल और गतिविधि आधारित शिक्षा शास्त्र का उपयोग करना।

उद्देश्य:-

  • शिक्षा के आधार रूप में प्रारंभिक बल्कि देखभाल और शिक्षा की आवश्यकता और महत्व का वर्णन करना।
  • बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान मिशन के लक्ष्य को समझना।
  • एफएलएन मिशन की आवश्यकता को पहचानना।
  • एफएलएन के लक्ष्य और उद्देश्य को जानना।
  • विभिन्न हितधारकों की भूमिका और जवाबदारी को समझना।

कोर्स की रूपरेखा:-

  • बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान मिशन का परिचय।
  • बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा अधिगम शिक्षा के आधार के रूप में।
  • एफएलएन मिशन की दूरदर्शिता।
  • एफएलएन मिशन की आवश्यकता।
  • एफएलएन मिशन के उद्देश्य।
  • विभिन्न हितधारकों की भूमिकाएं और जवाबदारियां।

बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान मिशन परिचय:-

(राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020)

यह नीति विद्यार्थियों से प्रत्यक्ष रूप से तभी जुड़ सकेगी जब आधारभूत शिक्षा ( लेखन, पढ़न, आधारभूत अंकगणित इत्यादि) उन्हें प्राप्त हो।

इसके लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय मिशन लॉन्च किया है जिसे नेशनल इनीशिएटिव फॉर प्रोफिशिएंसी इन लिविंग विद अंडरस्टैंडिंग एवं न्यूमैरेसी (निपुण भारत) नाम दिया है।

मिशन का दृष्टिकोण देश में एक व्यापक विश्व स्तरीय वातावरण तैयार करना है, जिससे ग्रेड 3 के अंत तक बच्चे लिखने पढ़ने एवं गणितीय समय की क्षमता प्राप्त कर सकें।

मिशन के तहत 3 से 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के पढ़ने लिखने और संख्या ज्ञान से जुड़ी आवश्यकता को पूर्ण किया जाएगा।

 

FLN मिशन के लक्ष्य एवं उद्देश्य:-

A)बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान क्या है?

  • बुनियादी साक्षरता का अर्थ है मौखिक भाषा विकास, डिकोडिंग ( ध्वनि और आकार में तालमेल) पढ़ने का प्रभाव, पाठ बोधन एवं लेखन ।
  • बुनियादी संख्या ज्ञान का अर्थ है संख्या बोध, आकार और स्थानिक संबंध, नाप, डेटा संधारण आदि।

 B) FLN मिशन की आवश्यकता क्यों?

  • वर्तमान में 5 करोड से अधिक बच्चों ने प्राथमिक स्तर पर बुनियादी साक्षरता एवं गणितीय समझ प्राप्त नहीं की है।
  • यदि लर्निंग एप को कम नहीं किया गया तो बच्चे पिछड़ जाते हैं एवं आशा अनुरूप परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं।
  • बच्चों के सीखने के मार्ग में आ रही बाधा को दूर करते हुए खेल एवं सक्रियता आधारित बुनियादी साक्षरता के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना।

 

C) FLN मिशन के लक्ष्य

  • खेल, खोज और गतिविधि – आधारित शिक्षा शास्त्र को शामिल करके इसे बच्चों की दैनिक जीवन स्थितियों से जोड़कर बच्चों की घरेलू भाषाओं को औपचारिक रूप से शामिल करके एक समावेशी कक्षा वातावरण सुनिश्चित करना।
  • बच्चों को समझ के साथ पढ़ने लिखने के कौशल विकसित करने के लिए उन्हें स्वतंत्र पाठक एवं लेखक बनने के लिए प्रेरित करना ताकि वह स्थाई रूप से लिखने और पढ़ने में सक्षम हो सके।
  • बच्चों को संख्या माप और आकार के क्षेत्र में तर्क को समझने उनमें संख्यात्मक और स्थानिक समझ विकसित करने कौशल के माध्यम से समस्या समाधान करने में सक्षम बनाना है।
  • बच्चों को उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराना जो उन्हें सांस्कृतिक विरासत से भी अवगत कराएं। यह सामग्री उनकी स्थानीय भाषा अथवा मातृभाषा में उपलब्ध हो।
  • एफएलएन मिशन का उद्देश्य है शिक्षकों प्रधानाध्यापकों एवं प्रशासकों की क्षमताओं के उन्नत पर सतत फोकस करना।
  • बच्चों की उच्चतम शिक्षा की मजबूत आधार शिला के लिए शिक्षकों माता-पिता समुदाय एवं नीति निर्माताओं का परस्पर सक्रिय जुड़ाव हो।
  • पोर्टफोलियो सामूहिक व संयुक्त प्रोजेक्ट वर्क खेल रोलप्ले, मौखिक परीक्षण एवं शॉर्टेस्ट इत्यादि के माध्यम से शिक्षा के स्तर का मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ईसीसीसीई) बुनियादी अधिगम:-

  1. प्रारंभिक बाल्यावस्था को जन्म से 8 वर्ष की आयु के रूप में परिभाषित किया गया है।
  2. इसके लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय मिशन लॉन्च किया है जिसे नेशनल इनीशिएटिव फॉर प्रोफिशिएंसी इन लिविंग विद अंडरस्टैंडिंग एवं न्यूमैरेसी (निपुण भारत) नाम दिया है।
  3. मिशन का दृष्टिकोण देश में एक व्यापक विश्व स्तरीय वातावरण तैयार करना है, जिससे ग्रेड 3 के अंत तक बच्चे लिखने पढ़ने एवं गणितीय समय की क्षमता प्राप्त कर सकें।
  4. मिशन के तहत 3 से 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के पढ़ने लिखने और संख्या ज्ञान से जुड़ी आवश्यकता को पूर्ण किया जाएगा।
  5. विकास के दृष्टिकोण से प्रत्येक बच्चे के लिए प्रारंभ के वर्ष महत्वपूर्ण होते हैं। क्योंकि इसी आयु में उनका विकास तीव्र गति से होता है।
  6. बच्चे के मस्तिष्क का 85% विकास 6 वर्ष की आयु से पूर्व ही हो जाता है।
  7. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 द्वारा प्रस्तावित नई 5+3+3+4 शिक्षा प्रणाली में 3 साल की उम्र से प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा का एक मजबूत आधार शामिल है। जिसका उद्देश्य बेहतर समग्र शिक्षा विकास और कल्याण को बढ़ावा देना है।

गतिविधि – 1

अपनी समझ को साझा करो-

निम्नलिखित में अपने विचार को साझा करो 

https://www.youtube.com/watchtv=1xjDHorcJyw

बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान मिशन की दृष्टि:-

  • मिशन को दृष्टि 2026-27 तक प्राथमिक कक्षाओं में बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान को सम्पूर्ण रूप से लागू करने की है।
  • प्रत्येक बच्चा कक्षा के अंत में पढ़ने, लिखने और संख्या ज्ञान में वांछित क्षमता प्राप्त कर सके।
  • शिक्षा नीति  2020  में की गई परिकल्पना के अनुसार, बच्चों की रचनात्मक क्षमता को बढाकर बुनियादी शिक्षा का जोर छात्रों के समग्र विकास पर होगा।
  • सभी बच्चों को एक समान और समावेशी कक्षा में सक्षम वातावरण उपलब्ध होगा, जो उनकी अलग  पृष्ठभूमि बहुभाषीय आवश्यकताओं और विभिन्न शैक्षणिक क्षमताओं का ध्यान रखते हुए उन्हें सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनाएगा।

 

एफ. एल. एन.

मिशन की आवश्यकता और महत्व:-

एफ.एल.एन. मिशन के दिशा निर्देशों के अनुसार, भारत के लगभग 2 करोड़ 50 लाख स्कूली बच्चों और 9 करोड़ 2 लाख शिक्षकों के साथ वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी स्कूली शिक्षा प्रणालियों में से एक के साथ प्राथमिक स्तर तक व्यापक क्रियान्वयन करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

वर्तमान में स्कूली शिक्षा के विभिन्न चरणों के अंतर्गत बच्चों के सीखने के स्तर के खराब प्रदर्शन को लेकर आज राष्ट्रीय स्तर पर चिंता की जा रही है।

अनुसंसाधनों से यह सुनिश्चित किया गया है कि यदि बच्चे एक बार बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान में पीछे रह जाते हैं तो वे वर्षों तक इसी पिछड़ी अवस्था में रहते हैं और निरंतर पीछे रह जाते हैं या होते जाते हैं।

गतिविधि

बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान की अवधारणा की समझने में लिंक के द्वारा देख सकते हैं।

https://www.youtube.com/watchqv=HY70tDASt-0

 

मिशन

प्रशासनिक ढांचा:-

FLN मिशन को शिक्षा मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय राज्य स्तरीय जिला ब्लाक एवं स्कूल स्तर पर 15 स्तरीय क्रियान्वयन तंत्र स्थापित किया जाएगा।

राष्ट्रीय मिशन

 राज्य मिशन

जिला मिशन

ब्लॉक / क्लस्तर मिशन

विद्यालय प्रबंधन समिति तथा समुदाय सहभागिता

एससीईआरटी की भूमिका:-

  1. स्थानीय रूप से प्रासंगिक शिक्षण अधिगम सामग्री का विकास करना।
  2. शिक्षकों का व्यापक क्षमता विकास।
  3. स्थानीय भाषा में शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल और अन्य संसाधनों का विकास।
  4. कक्षा 1 से 5 तक के लिए अतिरिक्त अधिगम सामग्री विकसित करने की आवश्यकता होगी,जो आकर्षक आनंदमय और नवीन हो।

डाइट की भूमिका:-

  1. विशेष रुप सेFLN के लिए अकादमी संसाधन पूल विकसित करें, जिसमें विश्वविद्यालय शिक्षा विभाग के शिक्षक, शिक्षक प्रशिक्षक, जिला शिक्षा योजना का और संकाय शामिल हो।
  2. प्रभावी ऑनसाइट समर्थन और सलाह प्रदान करना।

डीईओ और बीईओ की भूमिका:-

  1. DEOऔर BEO को सार्वभौमिक बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान प्राप्त करने में जिला और ब्लॉक स्तर की महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।
  2. अपने अधिकारी क्षेत्र के स्कूलों का पर्यवेक्षण,परामर्श और निरीक्षण करना।

बीआरसी (BRC) और सीआरसी (CRC) की भूमिका:-

  1. अकादमिक सहयोग प्रदान करना,विशेष रूप से उन प्राथमिक स्कूल को सहयोग देना जो बुनियादी साक्षरता मिशन से जुड़े हुए हैं।
  2. विशेष रुप से ब्लॉक और क्लस्टर स्तर पर एफएलएन मिशन के लक्ष्यों के अंतर्गत होने वाली गतिविधियों की प्रगति की निगरानी और पर्यवेक्षण करना।
  3. प्रधान शिक्षक और शिक्षक की भूमिका
  4. शिक्षकों का क्षमतावर्धन।
  5. बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान दक्षता प्रदान करने के लिए निरंतर व्यवसायिक विकास के माध्यम से सहयोग देना।

गैर सरकारी संगठनों एनजीओ की भूमिका:-

बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए क्षमता वर्धन और संसाधनों का विकास।

बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए सतत मोबाइलजेशन और जागरूकता लाना।

 

एसएमसी समुदाय और अभिभावकों की भूमिका:-

समुदाय जागरूकता और भागीदारी के प्रयासों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका।

शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में एसएमसी समुदाय और अभिभावकों की सक्रिय भागीदारी होना।

 

असाइनमेंट:-

बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान के विकास में विभिन्न है धारकों की भागीदारी के लिए रणनीति बनाएं और एक पोस्टर विकसित करने का प्रयास करें।

पोर्टफोलियो:-

बच्चे के संपूर्ण विकास में बुनियादी साक्षरता के अंतर्गत समाज, रिश्तेदार, समुदाय, माता-पिता एवं घर का माहौल अहम भूमिका अदा करता है, यदि इन सभी का सहयोग एक बालक को मिलता है, तो हम पूर्ण रूप से कह सकते हैं कि बालक का सर्वांगीण विकास हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *