कोर्स – 2 दक्षता आधारित शिक्षा की ओर बढ़ना

निष्ठा FLN 3.0 ऑनलाइन शिक्षक प्रशिक्षण

कोर्स-

  1. बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान मिशन से परिचय
  2. दक्षता आधारित शिक्षा की ओर बढ़ना
  3. बच्चे कैसे सीखते हैं?
  4. विद्या प्रवेश एवं बालवाटिका पर समझ
  5. बुनियादी भाषा एवं साक्षरता
  6. बुनियादी संख्या ज्ञान
  7. सीखने का आकलन
  8. FLNलिए अभिभावकों व समुदाय की भागीदारी
  9. टीचिंग,लर्निंग और असेसमेंट में ICT का प्रयोग
  10. प्रारंभिक वर्षों में बहुभाषी शिक्षण
  11. FLNके लिए स्कूल लीडरशिप का सुदृढ़ीकरण: अवधारणा एवं अनुप्रयोग
  12. खिलौना आधारित शिक्षा शास्त्र

 

कोर्स – 2

दक्षता आधारित शिक्षा की ओर बढ़ना

  • परिचय
  • विषयवस्तु
  • पोर्टफोलियो गतिविधि
  • मूल्यांकन
  • कोर्स पूर्ण
  • शैक्षिक संवाद

उद्देश्य –

  • दक्षता और सीखने के प्रतिफल परिभाषिक शब्दों में अंतर करना।
  • दक्षता आधारित शिक्षा की ओर बदलाव की आवश्यकता का वर्णन करना तथा बदलाव के लिए की गई पहल की व्याख्या।
  • एकीकृत और समग्र विकास के लिए एसएलएन बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान रूपरेखा में प्रयुक 3 विकासशील लक्ष्यों का वर्णन।
  • FLN रूपरेखा में सीखने के प्रतिफलों की समझ का प्रदर्शन।

 

सीखने के प्रतिफल क्या है?

सीखने के अपेक्षित प्रतिफलों में, सूचनाओं, ज्ञान, समझ, प्रवृत्तियों, मूल्यों, कौशलों और व्यवहारों की समग्रता को परिभाषित किया जाता है। प्राप्त किए गए सीखने के प्रतिफलों की पहचान सीखने की प्रक्रिया, आकलन और वास्तविक जीवन में सीखने के प्रदर्शन के माध्यम से की जाती है।

दक्षता आधारित शिक्षा एवं सीखने के प्रतिफलों की अवधारणा:-

हाल ही में नई शिक्षा नीति की गई है और उसके बाद भारत सरकार द्वारा एक एफएलएन मिशन निपुण भारत की शुरुआत की गई है। नेपाल भारत के दिशा निर्देशों के अनुसार इस मिशन को प्राप्त करने के लिए दक्षता आधारित शिक्षा एवं सीखने के प्रतिफल की ओर बढ़ने की सिफारिश की गई है।

 

दक्षता आधारित शिक्षा प्रणाली की ओर बढ़ने की आखिर क्या आवश्यकता है?

प्रत्येक बच्चे के घर की परिस्थिति, उनके घर के माहौल में फर्क होता है। कुछ घर ऐसे जहां पर माता-पिता अपने बच्चों को पर्याप्त समय देते हैं। इसके विपरीत कुछ घर ऐसे हैं जहां के बच्चों को ऐसा वातावरण नहीं मिल पाता है। जब यह दोनों तरह के बच्चे स्कूल आते हैं तो उनकी तत्परता का स्तर भिन्न होता है। लेकिन हम उनको एक समान शिक्षा देते हैं और ज्यादातर यह शिक्षा पाठ्यपुस्तक आधारित होती है। बच्चे का जो परिवेश होता है। वह भिन्न-भिन्न वातावरण का होता है। इसे हम ध्यान नहीं रखते हैं।

एक ही कक्षा स्तर के बच्चों की आयु में भी फर्क होता है कम से कम किसी में पांच छे महीने का तो किसी में 12 महीनों तक का अंतर होता है।

 

दक्षता आधारित शिक्षा एवं सीखने के प्रतिफल में अंतर:-

दक्षता में ज्ञान कौशल और मूल्य तीनों का समावेश होता है। दक्षता एक जेनेरिक टर्म है और सीखने के प्रतिफल विशेष शब्द है। जब हम एक ऐसा टीचिंग लर्निंग सिचुएशन का डिजाइन करते हैं जहां पर बच्चा क्या सीखा है यदि हम इसे माफ सके इसका मेजर कर सके तो हम उसे “सीखने के प्रतिफल” कहते हैं।

 

सीखने के प्रतिफल का आकलन:-

आकलन का प्रयोग एक मार्ग निर्देशक साधन के रूप में किया जाता है छात्र सक्रिय भागीदारी द्वारा चिंतन एवं समस्या समाधान कौशलों के साथ अपने ज्ञान का सृजन करते हैं। शिक्षक छात्र की प्रगति का पता लगाने के लिए वृतांत अभिलेख (एनेक्डोटल रिकार्ड), साथियों के आकलन (पियर असेसमेंट), स्व आकलन (सेल्फ असेसमेंट) रुब्रिक्स एवं पोर्टफोलियो का उपयोग करते हैं। सी.बी.ई. में रचनात्मक आकलन पर बल दिया जाता है ताकि शिक्षक विद्यार्थियों की कठिनाइयों और गलत धारणाओं को समझ सके और उनकी सहायता कर सकें। विद्यार्थियों को कहा सुधार की आवश्यकता है, इसके लिए उनके कार्यों पर प्रतिपुष्टि दी जाती है।

 

क्या सीखने के प्रतिफल पाठ्य पुस्तकों अध्यायों कोप्रति चित्रित करते हैं?

पाठ्य पुस्तक के पाठ चर्चा के क्रियान्वयन के लिए संदर्भ सामग्रियों में से एक है। पार्टी चर्चा की विषय वस्तु को अन्य शैक्षणिक विधियों द्वारा क्रियान्वित किया जा सकता है बच्चों को अपने साथियों समूह के साथ सीखने के लिए दिए गए अफसरों तथा विभिन्न विषयों से प्राप्त अनुभव उनकी सीखने के प्रतिफल प्राप्त करने में मदद करते हैं।

लक्ष्य दक्षताएं और सीखने के प्रतिफल – पदानुक्रम:-

बच्चों का समग्र विकास सुनिश्चित करने के लिए सीखने के प्रतिफलों को 3 विकासात्मक लक्ष्यों के अंतर्गत परिभाषित किया गया है। प्रत्येक विकासात्मक लक्ष्यों के लिए मुख्य अवधारणाएं एवं कौशल हैं।

गतिविधि 2 : स्वयं प्रयास करें

आपके विचार में बच्चों की प्रगति का आकलन करने के लिए सीखने के प्रतिफलों के प्रयोग के क्या – क्या लाभ है ? अपने विचार साझा करें

  • सीखने के प्रतिफलों का प्रयोग करके शिक्षक आकलन को सरल बना सकते हैं।
  • सीखाने से पूर्व शिक्षकों के प्रतिफलों का निर्धारण से शिक्षक तथा बच्चे दोनों अपना आकलन स्वयं शिक्षक कर सकते हैं।
  • निर्धारित प्रतिफलों को प्राप्त करने में बच्चा कितना सफल हुआ तथा किन प्रतिफलों को प्राप्त करने में असफल हुआ इस प्रक्रिया द्वारा शिक्षक सीखने के प्रतिफलों का उपयोग कर आकलन की प्रक्रिया को सरल एवं प्रभावी बना सकते हैं।
  • प्रतिफलों का प्रयोग करने से शिक्षक को शिक्षण एवं आकलन दोनों में सहयोग मिलता है।

भारत में दक्षता आधारित शिक्षा की ओर बढ़ना:-

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986, 1982 में संशोधित और प्रोग्राम ऑफ एक्शन 1992 मैं इस बात पर बल दिया गया की सीखने के न्यूनतम स्तर निर्धारित किए जाने चाहिए। सीखने के प्रतिफल ओं को विकसित करने के लिए तथा इन्हें पाठ्यक्रम एवं मूल्यांकन शामिल करने के लिए आरटीआई एक्ट को भी संशोधन किया गया।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम:-

बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 ( RTE ACT ) एक ऐतिहासिक कानून है, जिसका उद्देश्य 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना है। यह कानून अप्रैल 2010 को लागू हुआ।

RTE संशोधन:-

शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में एक नए प्रावधान “सीखने के प्रतिफल” को जोड़ने के लिए 20 फरवरी 2017 को संशोधन किया। अधिसूचना के माध्यम से नियम 23(2) में संशोधन की घोषणा की गई।

राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने 2017 में प्रत्येक कक्षा और विषय के लिए प्राथमिक स्तर पर सीखने के प्रतिफल विकसित किए। इसी क्रम में 2009 में माध्यमिक स्तर पर सीखने के प्रतिफल विकसित किए गए। इन सीखने के प्रति फलों में शिक्षकों के लिए दिशा निर्देश बिंदुओं का काम किया गया है। जो विभिन्न कक्षाओं में बच्चे की सीखने की प्रगति का आकलन करने के लिए व्यापक रूप से प्रयुक्त किए जा रहे हैं।

एफ एल एन की रूपरेखा:-

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारत सीखने की एक गंभीर समस्या से जूझ रहा है क्योंकि लगभग 50000000 विद्यार्थियों ने बुनियादी ज्ञान एवं संख्या ज्ञान प्राप्त नहीं किया अतः इस मुद्दे को मिशन मोड पर संबोधित करने की आवश्यकता है। इस प्रकार बुनियादी ज्ञान एवं संख्या ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन निपुण भारत अस्तित्व में आया।

तीन विकासात्मक लक्ष्यों के माध्यम से एकीकृत और समग्र विकास

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने बच्चों के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। विकासात्मक पहलू बच्चे को जीवन की जटिल स्थितियों में निपटने में सक्षम बनाते हैं। इन सभी क्षेत्रों को तीन मुखी लक्ष्यों में समाविष्ट कर दिया है जो इस प्रकार है।

  1. बच्चों को अच्छा स्वास्थ्य एवं खुशहाली
  2. बच्चों का प्रभावशाली संप्रेषक बनना
  3. बच्चों द्वारा सीखने के प्रति उत्साह प्रदर्शित करना और अपने आसपास परिवेश से जुड़ना।







असाइनमेंट:-

अवधारणा विषय वस्तु:- ईश्वर की आराधना करना, हाव-हाव व लय के साथ कविता सुनाना, कविता में आए विलोम शब्द, पर्यायवाची शब्दों की पहचान

उद्देश्य:- कविता को हाव भाव एवं लयबडता से वचन एवं भावार्थ करने का कौशल विकास

पूर्वा पेक्षीय ज्ञान:- बच्चे पूर्व से कुछ कविताओं से भलीभांति परिचित हैं।

अधिगम सामग्री और तैयारी:- सूरज चांद की वीडियो, चित्र, मुखौटे, तस्वीर कविताओं की पंक्तियों को प्रदर्शित करता चार्ट, सभी बच्चों की सहायक सामग्री के साथ सहभागिता, कविता कल के साथ प्रस्तुतीकरण

मुख्य विचार:- चित्रों व पंक्तियों के साथ बच्चों की समझ पक्की होती है, सोचने की क्षमता का विकास

पूर्व ज्ञान:- बच्चे दिन एवं रात के बारे में जानते हैं सूरज चांद तारों फूलों एवं पक्षियों के बारे में जानते है।

संबंधित सीखने के प्रतिफल:-

  • कविता को हाव भाव से सुना पाना कविता को सुनकर दोहराना।
  •   बच्चों में प्रार्थना के हावभाव का विकास होना।
  •  सूरज चांद तारों पर परस्पर अपने साथियों से चर्चा कर सकेंगे।

 

पूरे सप्ताह बच्चों के लिए गतिविधियां:-

  • सूरज चांद का चित्र बनाकर रंग भरे।
  • हाव भाव के साथ कविता वाचन करना एवं घर में माता-पिता एवं साथियों को सुनाएं।

इस मॉड्यूल से सीखा:-

  • दक्षता आधारित शिक्षा क्या है?
  • सीखने के प्रतिफल क्या है?
  • दक्षता आधारित शिक्षा एवं सीखने के प्रतिफल में अंतर
  • दक्षता आधारित शिक्षा क्यों आवश्यक है?
  • आकलन का तरीका
  • बच्चों का समग्र विकास के तीनों लक्ष्य क्या है?
  • एफएलएन मिशन के अस्तित्व में आने कारण एवं उद्देश्य

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