- शिक्षाकर्मी, संविदा शिक्षक और गुरुजी को अब मिलेगी ग्रेच्युटी
- 1998 के बाद नियुक्त होने वाले प्रदेश के 3 लाख से अधिक टीचर्स को होगा फायदा
प्रदेश में लगभग तीन लाख शिक्षकों को ग्रेच्युटी मिलने का रास्ता खुल गया है। वो इसलिए कि नरसिंहपुर जिले के एक प्राथमिक शिक्षक के मामले में वहां के न्यायालय श्रम आयुक्त ने 6 अक्टूबर को फैसला सुनाया कोर्ट ने जिला शिक्षा अधिकारी को आदेश दिया कि वह उक्त प्राथमिक शिक्षक की ग्रेच्युटी दिलवाए। इस आदेश के बाद अन्य शिक्षक इस केस का हवाला देकर ग्रेच्युटी लेने के लिए अपने-अपने जिले के उपादान (ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 के सक्षम अधिकारी श्रम न्यायालय जा सकते हैं।
1998 से नियुक्त शिक्षाकर्मी, संविदा शिक्षक, गुरुजी और बाद से भर्ती शिक्षकों को स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा वर्ष 1999 में आदेश दिए जाने के बावजूद ग्रेच्युटी नहीं दी जा रही है। ऐसे में इन्हें रिटायरमेंट के बाद बिना किसी आर्थिक लाभ के ही सीधे घर भेजा रहा था, लेकिन अब स्थिति बदलने लगी है।
बदलते गए पदनाम…..
प्रदेश में 1998 के बाद से शिक्षकों के नाम बदलते गए। 1998 में शिक्षाकर्मी के नाम से इन्हें भर्ती किया गया। इसके बाद संविदा शिक्षकों की भर्ती की गई। फिर इन्हें प्राथमिक शिक्षक कहा जाने लगा। 1998 के बाद से शिक्षाकर्मी, संविदा शिक्षक और गुरुजी पद पर नियुक्त कर्मचारियों की ग्रेच्युटी बंद कर दी गई है। हालांकि जो शिक्षक सेवानिवृत्त हो गए या जिनकी असमय मृत्यु हो गई, उनके परिवार जन भी अब इस केस का हवाला देकर ग्रेच्युटी के लिए न्यायालय का सहारा ले सकते हैं।
यह है पूरा मामला ….
दीपचंद चौधरी प्राथमिक शिक्षक शासकीय प्राथमिक विद्यालय हींगपानी संकुल केंद्र शाहपुर विकासखंड चीचली जिला नरसिंहपुर में वर्ष 2001 से संविदा शिक्षक/ सहायक अध्यापक / प्राथमिक शिक्षक (शासन ने 1998 से 2018 तक तीन बार पद नाम बदले हैं) पद कार्यरत रहे। इसके बाद वह 31 नवंबर 2021 को सेवानिवृत्त हो गए। उन्होंने जब ग्रेच्युटी की मांग की तो विभाग ने इसके लिए यह कहते हुए मना कर दिया कि नियम नहीं है। इसलिए नहीं मिलेगी। इसके बाद दीपचंद ने नरसिंहपुर के सक्षम श्रम न्यायालय में उपादान भुगतान अधिनियम 1972 के तहत आवेदन दिया। इसमें उन्होंने कहा कि उनकी नियुक्ति 2001 में हुई थी। उसके बाद से वे लगातार बिना एक भी दिन की सर्विस ब्रेक किए काम करते रहे थे। इस पर श्रम न्यायालय ने 6 अक्टूबर 2023 को अपने फैसले में कहा कि हाई कोर्ट मप्र और सुप्रीम कोर्ट के अलग- अलग आदेशों के पालन में ग्रेच्युटी अधिनियम 1972 में जो संशोधन 2009 में किया गया था, उसके अनुसार स्कूलों से सेवानिवृत्त हुए अध्यापक इस अधिनियम के अनुसार ग्रेच्युटी के पात्र हैं। इसलिए 30 दिन के अंदर दीपचंद चौधरी को छह लाख 28 हजार 107 सात). रुपए ग्रेच्युटी दी जाए। निर्धारित 30 दिवस का समय निकलने के बाद 10% ब्याज प्रति वर्ष के साथ राशि देनी होगी।
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